AMAN AJ

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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-9

  

    अध्याय 3
    जंगल में
    भाग-2

      ★★★
    
    अब हिना और आर्य दोनों ही आश्रम के सुरक्षा चक्कर से बाहर थे। हर एक पल उनकी नजर चारों और थी। आसपास कहीं तिनका हिलने का शोर भी होता था तो उनका ध्यान उस तरफ चला जाता था। दोनों ही पूरी तरह से सावधान थे और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। 
    
    आर्य ने हिना से कहा “क्या पहले भी यहां कोई आया है?”
    
    हिना याद करते हुए बोली “मुझे यहां रहते हुए 6 महीने हो गए, इन छह महीनों में तो कभी किसी को आते हुए नहीं देखा। मगर उससे पहले यहां कोई आया है या नहीं इसके बारे में कह नहीं सकती। मगर तुम यह क्यों पूछ रहे हो?”
    
    आर्य ने जवाब दिया “तुम लोग कहते हो ना कि यहां खतरा है, और पीछे हम जिस जंगल से गुजर कर आए हैं वह भी खतरों से भरा पड़ा है। लेकिन अभी तक तो हमें किसी भी तरह का खतरा दिखाई नहीं दिया।”
    
    हिना यह सुनकर बोली “यह तो हमारी खुशकिस्मती है। अच्छी बात ही है कि हम किसी तरह के खतरे में नहीं पड़े। हमारा जंगली जानवरों से भी सामना नहीं हुआ, और अब सुरक्षा चक्कर से बाहर आ जाने के बाद अंधेरी परछाइयां भी यहां नहीं मिल रही।”
    
    आर्य ने चारों तरफ देखा। यहां के पेड़ और भी ज्यादा घने थे। इसके बाद उसने सामने की तरफ देखा। ‌ सामने की तरफ देखता हुआ वह बोला “अब ढलान ज्यादा दूर नहीं है। अगर हमारी खुशकिस्मती हमारा और भी साथ देती है, तो हमें तुम्हारे भाई वहां से दिख जाना चाहिए।”
    
    हिना ने महसूस किया कि यहां थोड़ी हल्की हवा चलने लगी थी। यह हवा सामने से उनके पीछे की ओर जा रही थी। हवाओं को महसूस करते हुए वह बोली “हवाओं का बहना दिखा रहा है कि ढलान नीचे काफी गहरी है। मेरा भाई अब तक ज्यादा नीचे नहीं गया होगा। उम्मीद तो पूरी है वह हमें दिख जाएगा।”
    
    दोनों ने अपनी चाल को तेज कर लिया। कुछ देर चलने के बाद वह ऐसी जगह पर पहुंच गए थे जहां जमीन नीचे की ओर जाने लगी थी। यानी यह ढलान वाला क्षेत्र था। ‌यहां के पेड़ों की ऊंचाई भी लगातार कम होते हुए ढलान का रूप ले रही थी। वहां दोनों ने हीं सामने देखा। सामने उन्हें कुछ दूर रोशनी दिखाई दे रही थी। 
    
    रोशनी को देखकर हिना के चेहरे पर खुशी आ गई। वह खुश होते हुए बोली “हमें रोशनी मिल गई। भाई भी वहां होगा। आखिर हम कामयाब हुए हैं।”
    
    “हां हम कामयाब हुए।”‌ आर्य ने भी हिना का साथ दिया। 
    
    दोनों ही अब ढलान से नीचे की ओर उतरने लगे। ‌ वह दोनों ही रोशनी की तरफ जा रहे थे। बीच में आने वाली कुछ कंटीली झाड़ियों को एक तरफ करते हुए वह रोशनी वाली जगह पर पहुंच गए। मगर जब दोनों ही वहां पहुंचे तो उन्हें वहां सिर्फ एक जलती हुई मशाल दिखी। आयुध नहीं।
    
    हिना ने तुरंत भागकर मशाल को उठा लिया। “यहां सिर्फ यही है, मुझे मेरा भाई नहीं दिख रहा।” वो रोने लगी “कहीं उसके साथ..”
    
    आर्य ने हिना को बीच में ही रोकते हुए कहा “ऐसा मत सोचो। वो जरूर यही आस पास होगा।‌ एक बार के लिए खुद को संभालो..”
    
    हिना खड़ी होकर वहां जगह का मुआयना करने लगी। ‌आर्य भी जगह का मुआयना कर रहा था। ‌ जगह को देखकर साफ पता चल रहा था कि यहां कोई कुछ देर के लिए बैठा था। यहां घास फूस पड़ी थी जो इस बात का संकेत थी कि किसी ने आग जलाने की कोशिश की। ‌मगर आग जलाई नहीं। आर्य ने जगह को लेकर कहा “इसे देखकर मुझे यही पता लग रहा है कि तुम्हारा भाई यहां रुकने के बारे में सोच रहा था। वो आग जलाने वाला था मगर आग जलाने से पहले ही कहीं चला गया।” तभी अचानक उसे एक बालू के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी। बालु के साथ साथ कोई लड़का बचाओ बचाओ भी चिल्लाता हुआ सुनाई दे रहा था। बालु की आवाज और लड़के की आवाज सुनते ही आर्य बोला “या फिर उसे कोई ले गया।”
    
    दोनों ही समझ गए की क्या हो रहा है। हिना का भाई बालु का शिकार हो रहा था। दोनों ही तेजी से उस ओर भागे जहां से आवाजें आ रही थी। भागते भागते हिना पीछे अपनी मूठियों को बंद कर कुछ ऐसा कर रही थी जिससे उसका शरीर बीच-बीच में नीली रोशनी से चमक रहा था। यहां तक कि नीली रोशनी की चमक उसके कपड़ों में भी देखने को मिल रही थी।
    
    जल्द ही दोनों आगे आए तो वहां एक बालु दिखा जो आयुध को पैर से पकड़ते हुए घसीट कर लेकर जा रहा था। आर्य के पैर वहीं रुक गए। आर्य की पैरों की आवाज सुनकर भालू भी रुका और पीछे पलटा। तभी हिना सामने आ गई। वह बिल्कुल आर्य के पास से निकलकर आर्य और बालू के बीच आ गई थी। 
    
    कुछ देर पहले नीली रोशनी से चमकने वाला उसका शरीर शांत पड़ा था। मगर उसकी आंखें वह अभी भी नीली थी। हिना ने आंखों को बंद किया और कुछ देर बंद करने के बाद दोबारा खोला। और जैसे ही उसने अपनी आंखों को खोला उसका पूरा का पूरा शरीर एक बार फिर से नीली रोशनी से चमक पड़ा। आर्य हिना को इस तरह से चमकता देख हैरान हो गया। उसके शरीर की नीली रोशनी इतनी ज्यादा थी के आसपास की चीजों को देखने के लिए आग की जरूरत भी नहीं पड़ रहीं थी।
    
    हिना ने अपनी मूठियों को सामने किया और नीचे झुकते हुए लड़ने की स्थिति में आ गई। उसने तेज और गुस्से से भरी आवाज में कहा “मेरे भाई को छोड़ दो.... गंदे.... बदबूदार बालू...”
    
    पीछे आर्य ने यह सुनकर अपनी आंखें मोटी की। हिना यहां जो भी कर रही थी, उसके बाद उसे किसी भी मायने में कम नहीं समझा जा सकता। वो भी दिलचस्प ही थी।
    
    ★★★
    
    हिना के कहने के बाद बालू ने उसे चिगाड़ा। उसने आयुध का पैर छोड़ दिया जिसके बाद आयुध खड़े होकर वहां एक पेड़ के पीछे चला गया। आर्य भी एक तरफ हो गया था। हिना और भालू दोनों ही मुकाबले में एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े थे। हिना पूरी तरह से नीली रोशनी से चमक रही थी। 
    
    अचानक बालू ने अपने दोनों हाथों को हवा में फैला कर उन्हें छाती पर पीटा। इसके बाद हीना की तरफ बढ़ पड़ा। हिना ने तुरंत अपनी नीली रोशनी से चमक रहे हाथों को सामने की तरफ कर दिया, इससे बालू और उसके बीच एक नीली रोशनी वाली दीवार बन गई। बालू नीली रोशनी की दीवार से जा भिचा। उसके सर को झटका लगा और वह पीछे की तरफ गिर गया। 
    
    इसके ठीक अगले ही पल हिना ने अपने हाथ वापस ले लिए। उनके बीचो-बीच बनी नीली रोशनी वाली दीवार गायब हो गई। हिना ने तुरंत अपने कदमों को गति दी और दौड़ते हुए दूसरी तरफ हो गई। वह बालू के दाई और चली गई थी। ‌ बालू ने खुद को संभाला और संभल कर खड़ा हुया। इसके बाद उसने हिना को देखा जो उसके दाएं और थीं। उसने वापिस अपनी छाती पीट और फिर से हिना पर हमले के लिए दौड़ पड़ा। हिना ने दोबारा पहले की तरह ही अपने हाथों को आगे किया मगर इस बार उनके बीच में नीली रोशनी की दीवार नहीं बनी। बल्कि इस बार उसके हाथों से रोशनी के दो बड़े बड़े गोले निकले जो जाकर बालू से टकरा गए। रोशनी के गोले टकराते ही बालू उछलता हुआ काफी फिट पीछे जा गिरा। 
    
    बालु को दोबारा गिराने के बाद हिना ने अपनी मुट्ठी को अपनी हथेली पर मारा। वह बोली “तुमने मेरे भाई को हाथ लगा कर ठीक नहीं किया। आज मैं तुम्हारी जान ले लूंगी।”
    
    दोनों दुबारा एक दूसरे से मुकाबला करने के लिए तैयार हो गए। ‌ बालू फिर से हिना के सामने आकर खड़ा हो गया। लेकिन इससे पहले वह इस बार उस पर हमला करने के लिए आगे बढ़ता, आर्य बीच में आया और उसने बालु को दूसरी तरफ धक्का दे दिया। आर्य का धक्का जोरदार था। उसके धक्के से तकरीबन 80 किलो का भालू 7 से 8 मीटर दूर जाकर पेड़ से जा टकराया। आर्य ने धक्का मारने के बाद हिना को कहा “हमारे पास इतना टाइम नहीं है, हम सुरक्षा चक्कर के घेरे से बाहर हैं, जल्दी अपने भाई को पकड़ो और आश्रम चलो।”
    
    अबकी बार हैरान होने की बारी हिना की थी। आर्य ने जिस तरह से बालु को धक्का दिया था वह आश्चर्यजनक था। उसके पास तो जादूई क्षमता थी लेकिन आर्य ने यह कैसे किया? उसके लिए भी यह एक सवाल था।
    
    हिना ने तुरंत आयुध का हाथ पकड़ा और आर्य के साथ वापिस आश्रम की ओर जाने लगी। उसने चलते हुए आयुध से पूछा “तुम्हारे दिमाग पर कोई गहरी चोट लगी है क्या... जो तुम यहां मौत के मुंह में आने के लिए आ गए।”
    
    आयुध भी आर्य के जैसे दिखने वाला ही कम उम्र वाला लड़का था। उसकी उम्र तकरीबन 17 साल के आसपास थी और वह हिना का भाई था। हिना के बोलने के बाद उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला। वह बस चुपचाप उसके साथ चले जा रहा था।
    
    चलते-चलते हिना ने अंगूठी निकाली और उसके अंदर से आगे देखा। वह सुरक्षा चक्कर के लाल घेरे से काफी दूर थे। उसने अपने कदमों की गति बढ़ा दी। तीनों ही अभी कुछ देर ही चले होंगे कि उन्हें अपने पीछे पेड़ पौधों की पत्तियों में सरसराहट होती हुई नजर आई। यह सरसराहट काफी ज्यादा मात्रा में हो रही थी। तीनों ने ही एक साथ पलट कर पीछे देखा। पेड़ पौधों के ऊपर लाल आंखों वाली अजीब सी आकृतियां काफी भारी संख्या में उनकी ओर आ रही थी।
    
    हिना उन्हें देखते ही बोली “यह लाल आंखों वाली अंधेरी परछाइयां है.... शैतान इन्हें नजर रखने वाली अंधेरी परछाइयां कहते हैं.... जो जरूरत पड़ने पर हमला भी कर सकती हैं....सब के सब जल्दी भागो।।।” 
    
    आर्य ने उन परछाइयों की तरफ देखा। रात के अंधेरे में उनकी स्पष्ट आकृति दिखाई नहीं दे रही थी। मगर उनकी चमकती हुई लाल आंखों को किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था।
    
    जल्द ही तीनों तेजी से आश्रम के सुरक्षा चक्कर के घेरे की ओर दोड़ने लगे। तीनों ही जितना तेज हो सकते थे उतना तेज दौड़ने की कोशिश कर रहे थे। उनके पीछे लाल आंखों वाली अंधेरी परछाइयां जमीन पर ना चलने की बजाय एक के बाद एक पेड़ों के ऊपर ही आगे बढ़ रही थी। ‌उनके आगे आ जाने के बाद पीछे पेड़ों के पत्ते लगातार जमीन पर गिरते जा रहे थे। हवाओं की गति भी बढ़ गई जो अब उल्टी हो गई थी। हिना आर्य और आयुध तीनों ही हवा को सामने से आता हुआ महसूस कर रहे थे। हवा इतनी तेज थी कि उनके बालों के साथ-साथ उनके कपड़े भी पीछे की ओर उड़ रहे थे। हिना ने नीले रंग का चौगा पहन रखा था तो दौड़ने के साथ-साथ वह उसे भी संभाल रही थी। 
    
    जल्द ही तीनों काफी आगे आ गए। उन्होंने दौड़ते दौड़ते पीछे देखा तो पता चला अब लाल आंखों वाली अंधेरी परछाइयां आगे नहीं आ रही थी। हिना ने अंगूठी निकाली और उसके अंदर से अपने पीछे देखा। वह लोग अब सुरक्षा घेरे के इस और आ गए थे। 
    
    हिना सभी से हाफतें हुए बोली “अब मत भागो... हम सुरक्षा चक्कर के घेरे में आ गए हैं।” इतना कहते कहते वह वहां जमीन पर गिर गई। आयुध भी गिर गया। दोनों ही बुरी तरह से हाफं चुके थे तो जमीन पर गिर कर राहत की सांस ले रहे थे। आर्य भी रुका और वहां उनके पास ही खड़ा हो गया। ‌हिना और आर्य दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा, इस मुसीबत से बचकर भाग निकलने की खुशी में दोनों के ही चेहरे पर हंसी आ गई। दोनों ही इसे लेकर खुश थे। वही आयुध वह अभी सिर्फ सांसे ले रहा था।
    
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2 Comments

Horror lover

18-Dec-2021 04:46 PM

🙄🙄

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Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 08:53 PM

बहुत बढ़िया सर..👌👌👌👌

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